--- माँ ---
माँ तुम प्रथम पूज्य हो,
उस गणपति बप्पा से भी पहले |
बप्पा ने तो प्रथम पूज्य का,
बुद्धि से स्थान लिया|
पर माँ तुम तो वो माधयम हो,
जिसके सहारे परम पिता मुझे रच पाये|
मुझे धरा पे लाके,
माँ तुने मेरा उपकार किया|
इस तन को पाने को,
श्रृष्टि में हर कोई अभिलाषित|
ये ही एक रास्ता,
अपने अपने घर जाने को|
बप्पा घर पहुँचा सकते हैं,
पर इस तन को पाने के बाद|
इस से एक करुण पुकार,
लगाने के बाद|
माँ तुने बिन पुकार ही कृपा की,
बिन मांगे ही सब कुछ दी|
बोलो माँ मैं बप्पा को,
तुमसे पहले कैसे पूजूं!
तेरे बिन मेरे उपर,
बप्पा का कोई उपकार नही|
इसलिए हे माँ,
तुम प्रथम पूज्य हो|
मेरी ये कविता समर्पित है मेरी माँ के लिए और
हर एक माँ के लिए उसके संतानों द्वारा .......
जिसे संतान नही है वो भी माँ हो सकती है क्योंकि मेरा मानना है कि
माँ तो एक भाव की अवस्था होती है, जहाँ समर्पण और त्याग की पराकाष्ठा होती है
अपने संतानों के लिए ...संतान वो होता है जिसे वो संरक्षित करती हैं ।
...कुंवर ...
बहुत ही प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंमाता के प्रति आप का जो प्रेम , सत्कार है वो इन पंक्तियों से बह रहा है .
माता जो कुछ हमारे लिए कर सकती है
उसका कर्ज न कोई उतार सका है और न उतार सकता है बस हम तो माता का आभार ही कर सकते है ...मेरा भी माता को आभार कुछ इस प्रकार:-
मैं थी शिशु
अज्ञान अबोध अचेतन
सभी से अनभिज्ञ थी मैं
उसने अपनों से परिचित कराया
जीवन की पाठशाला का उन्ही से पहला पाठ पाया
प्रथम गुरु माता को मेरा नमन है
शत शत नमन है
Bahut Khub likhi hai, Aapne gagr me sagar ko bhar dikhaya...Dhanyabad...
जवाब देंहटाएंawesome......real feelings....beautiful.........fantastical.....endless praises..for such beautiful composition..
जवाब देंहटाएंfrankly speaking my eyes were filled with water when i read it...
GOD BLESS U........KEEP ON WRITTING DEAR FRIEND..
awesome bro. This is great poem.
जवाब देंहटाएंThanks...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे और समर्पित भाव लिए है आप की कविता.
जवाब देंहटाएंऔर अंत में जो भाव लिखे हैं वे भी काबिले तारीफ़ हैं .
लिखते रहिये.
शुभकामनाएँ.
धन्यवाद अल्पना जी, चाहता भी यही हूँ कि लिखता रहूँ ।
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