आप हासिल कर सकते हैं,
एक नयी शुरुआत तो कीजिये |
मंजिल के लिए एक कदम का रास्ता ,
हर एक को पता होता है ,
अपने उस कदम पे विश्वास तो कीजिये |
हर कदम अगला कदम दे जाता है ,
इस राज को स्वीकार तो कीजिये |
कदम दर कदम ख़ुद पे भरोसा रखकर ,
अपने सफर का विस्तार तो कीजिये |
बाहरी प्रोत्साहन को तिलांजलि देकर ,
आंतरिक प्रोत्साहन तैयार तो कीजिये |
इसके सहारे ख़ुद को तराश कर ,
जीवन संघर्ष के लिए,
खुद को तैयार तो कीजये|
ख़ुद ही ख़ुद को बनाना पड़ता है,
इस राज को स्वीकार तो कीजिये |
रात होती ही है ,
एक नयी सुबह के लिए ,
इस रात को स्वीकार तो कीजिये |
औरों से दोस्ती अच्छी बुरी हो सकती है ,
ख़ुद से दोस्ती सिर्फ़ भली होती है ,
ख़ुद से दोस्ती का प्रयास तो कीजिये |
हर कदम पे अड़चन भी हाँ मिल सकते हैं,
ये काम, क्रोध , लोभ, कोई भी हो सकते हैं,
इसे आव्य्श्यक हथियार से, परास्त किए चलिए |
वो दिन दूर नही,
जब ख़ुद ही मंजिल हो जायेंगे,
कदम दर कदम ख़ुद को पा जायेंगे |
इससे बड़ा मंजिल नहीं हो सकता है ,
एक कदम का विश्वास,
आपको सब कुछ दे जा सकता है ||
'कुंवर'
मेरी ये उपरोक्त कविता एक सामाजिक पत्रिका 'कृष्ण स्मारिका' वाराणसी में प्रकाशित हो चुकी है |
ये हर एक शख्श के लिए है जो कुछ करना चाहते हैं, बस शुरआत की जरूरत है|
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