मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

शुरुआत




















आप हासिल कर सकते हैं,
एक नयी शुरुआत तो कीजिये |

मंजिल के लिए एक कदम का रास्ता ,
हर एक को पता होता है ,
अपने उस कदम पे विश्वास तो कीजिये |

हर कदम अगला कदम दे जाता है ,
इस राज को स्वीकार तो कीजिये |

कदम दर कदम ख़ुद पे भरोसा रखकर ,
अपने सफर का विस्तार तो कीजिये |

बाहरी प्रोत्साहन को तिलांजलि देकर ,
आंतरिक प्रोत्साहन तैयार तो कीजिये |

इसके सहारे ख़ुद को तराश कर ,
जीवन संघर्ष के लिए

खुद को तैयार तो कीजये|

ख़ुद ही ख़ुद को बनाना पड़ता है,
इस राज को स्वीकार तो कीजिये |

रात होती ही है

एक नयी सुबह के लिए ,
इस रात को स्वीकार तो कीजिये |

औरों से दोस्ती अच्छी बुरी हो सकती है ,
ख़ुद से दोस्ती सिर्फ़ भली होती है ,
ख़ुद से दोस्ती का  प्रयास तो कीजिये |

हर कदम पे अड़चन भी हाँ मिल सकते हैं,
ये काम, क्रोध , लोभ, कोई भी हो सकते हैं, 
इसे आव्य्श्यक हथियार से, परास्त किए चलिए |

वो दिन दूर नही

जब ख़ुद ही मंजिल हो जायेंगे,
कदम दर कदम ख़ुद को पा जायेंगे |

इससे बड़ा मंजिल नहीं हो सकता है ,
एक कदम का विश्वास,

आपको सब कुछ दे जा सकता है ||


                                                                                                           'कुंवर'

मेरी ये उपरोक्त कविता एक सामाजिक पत्रिका 'कृष्ण स्मारिका' वाराणसी में प्रकाशित हो चुकी है |


ये हर एक शख्श के लिए है जो कुछ करना चाहते हैं, बस शुरआत की जरूरत है|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

                                                                                                              कहाँ  से ढूंढ लाऊँ    ...