जिंदगी
आशा टूटी, सपने छूटे
फिर भी मैं आशा करता हूँ ,
नित सपने से सजता हूँ,
ओये होए जिंदगी
ऐसे ही तुझे मैं गढ़ता हूँ|
अपनी पथरीली राहों से,
पाथेय पथिक को दे जाते हो |
मुझ अनजान पे करुणा कर ,
तुम कोड़े बरसाते हो|
जब देना हो नवजीवन तो,
एक विपदा पहले दे जाते हो |
अपने कड़वे सच को,
बस शिव शंकर में समझाते हो|
कर विष पान, शिव ने संदेश दिया
हर जीवन में बिष मिलते हैं,
उसे ऐसे ही पिने पड़ते हैं|
तब नव जीवन मिल पता है,
स्वप्न पल्लवित होकर,
आशा पूरित कर पाता है |
...कुँवर...
आशा टूटी, सपने छूटे
फिर भी मैं आशा करता हूँ ,
नित सपने से सजता हूँ,
ओये होए जिंदगी
ऐसे ही तुझे मैं गढ़ता हूँ|
अपनी पथरीली राहों से,
पाथेय पथिक को दे जाते हो |
मुझ अनजान पे करुणा कर ,
तुम कोड़े बरसाते हो|
जब देना हो नवजीवन तो,
एक विपदा पहले दे जाते हो |
अपने कड़वे सच को,
बस शिव शंकर में समझाते हो|
कर विष पान, शिव ने संदेश दिया
हर जीवन में बिष मिलते हैं,
उसे ऐसे ही पिने पड़ते हैं|
तब नव जीवन मिल पता है,
स्वप्न पल्लवित होकर,
आशा पूरित कर पाता है |
...कुँवर...
Yet another masterpiece by you. Specially these lines
जवाब देंहटाएंअपनी पथरीली राहों से,
पाथेय पथिक को दे जाते हो |
मुझ अनजान पे करुणा कर ,
तुम कोड़े बरसाते हो|
As, i finished this, "waah" came out from inside, yeah.
Thanks Dear...
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