मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

प्रकृति से संवाद

पार्क में जब मैं  अपने प्राणायाम को पुरा कर चुका था और संपूर्ण मौन को महसूस करने के बाद ज्योंहीअपनी आँख को धीरे- धीरे खोला | तो प्रसन्नचित मेरे मन में प्रकृति की हरियाली को देखकर एक भाव सा उमड़ने लगा |

उसी समय प्रकृति ने मेरे मन से जो संवाद किया 

वो एक कविता की रूप ले चुकी थी|
जो अब आप लोंगों के सामने रखता हूँ ...

   मैं थाम लूँगा हाथ 


ख़ुद को बदलने को
एक सांचे में ढलने को
जो तुम हो तैयार
तो आना मेरे साथ
मैं थाम लूँगा हाथ|

गर ये जीवन नश्वर लगे
शान्ति ही वेंकटेश्वर लगे|
तो आना मेरे साथ

मैं थाम लूँगा हाथ |

जो पाना था,
बो पाया |
जो खोना था ,
बो खोया |
तो आना मेरे साथ,
मैं थाम लूँगा हाथ|

विधा जो ज्ञात नही ,
नियति जिसका एहसास नहीं |
गर करनी हो ,
उसकी बात |
तो आना मेरे साथ,

मैं थाम लूँगा हाथ|

हो कुछ पाने को शेष,
जीवन लगे अवशेष|
तो आना मेरे साथ,
मैं थाम लूँगा हाथ |

मैं सत्य हूँ ...शिव हूँ ...और सुंदर भी


इसलिए मैं थामुंगा तुम्हारा हाथ |

मैं प्रकृति हूँ ...मैं प्रकृति हूँ...मैं प्रकृति हूँ...

                                                                                                         कुंवर 


अपने लिए एक शायरी मन में कौंधती रहती है
उसे आप सबसे शेयर करता हूँ .....यूँ है ये शायरी

और हाँ ये मेरी अपनी है .....

अहले सुबह ख़ुद ही ख़ुद के लिए सबाल बन जाता हूँ,
रात बिस्तर तक आते -आते ख़ुद ही मिशाल बन जाता हूँ|

यही भाव आती रहे मेरे मन में ऐसा चाहता हूँ मैं  ...

अंत में आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें .....

9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति ऐसा ही संवाद कर सकती है ...
    ख़ुद को बदलने को
    एक सांचे में ढलने को
    जो तुम हो तैयार
    तो आना मेरे साथ
    मै थाम लूँगा हाथ|

    बिल्‍कुल सही लिखा है आपने .. बहुत बहुत बधाई !!

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  2. "विधा जो ज्ञात नही ,
    नियति जिसका एहसास नही|
    गर करनी हो ,
    उसकी बात |
    तो आना मेरे साथ
    मै थाम लूँगा हाथ|.."

    अच्छा लेखन.

    आपको भी दीपावली की शुभकामनायें!!

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  3. हरि ओम,

    बहुत सुन्दर लेखनी। पूर्ण रुपेन समर्पण ही उपाय है।

    प्रेम और ओम

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  4. आप सभी को हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.....

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रकृति के संवाद को बखूबी प्रस्तुत किया है

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  6. That's Amazing.....Apne Ghar ki yaad aa gayi...
    Thank you very much.

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