Desk Of Kunwar Aayensteen @ Poetry
Journey Towards The Source
रविवार, 14 अप्रैल 2013
अवसर नवनिर्माण का
यदि कार्य चुनौतीपूर्ण लगे,
तो यह अवसर है नवनिर्माण का ।
मान लो तुम यही इशारा है,
सृष्टि के सकल विधान का ।
चल पड़ो उस पथ पर ,
जो पथ चुनौतीपूर्ण हो ।
मिलेगा सुकूँ उस पथ पर,
कि वीरों को तब मिलता है सुकूँ,
जब मंजिल पाना चुनौतीपूर्ण हो ।
पथ पर एक क्षण ऐसा भी आएगा,
जब ये मर्म नज़र आएगा ---
कल जिस मीनार पे डाला था नज़र पाने के लिये,
आज वही क़दमों में है -
फूलों की तरह बिछ जाने के लिये ।
---कुँवर---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कहाँ से ढूंढ लाऊँ ...
हे प्रभु
हे प्रभ...
श्वान की मुस्कान पर
आज हो गया विलीन , श्वान की मुस्कान पर | कल कभी आएगा क्या ! टूटे हुए सपनों के बिच में , गली आगे से बंद है , मोड़ दिखती ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें