आज हो गया विलीन,
श्वान की मुस्कान पर |
कल कभी आएगा क्या !
टूटे हुए सपनों के बिच में,
गली आगे से बंद है,
मोड़ दिखती है मगर |
आज आयेगा अभी,
ये चोट दुखती है अगर|
आज कल को छोड़ के,
अब में बदल दो स्वयं को|
शेष निज - निज स्वपन को,
साकार कर देगा अभी |
आज कर लेंगे बाली प्रविर्ती भी इंसान को धोखा दे जाती है इसीलिए इस आज को अब में बदलने की जरूरत है हम सबको |इसी भाव को मन में रखते हुए मै इस कविता को लिखा हूँ| ......कुंवर ......
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कहाँ से ढूंढ लाऊँ ...
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आज हो गया विलीन , श्वान की मुस्कान पर | कल कभी आएगा क्या ! टूटे हुए सपनों के बिच में , गली आगे से बंद है , मोड़ दिखती ...
गली आगे से बंद है,
जवाब देंहटाएंमोड़ दिखती है मगर |
bhut achi line hai shandar!!:)
Dheere sabhi rachnayen padhungi..pehli baar aayi hun aapke blogpe...
जवाब देंहटाएंMere blogs pe nimantran hai..!
Aapka behad sundar, saadgee bhara rachnaa sansaar hai..dardse guzaree har raah sahee maqaam pe pohonchtee hai..warna bhatakti rehti hai..!
Chand blog ki URL de rahee hun...padhenge to khushee hogi!
http//kavitasbyshama.blogspot.com
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Gar word verification hai, to hata denge? Anytha na len, comment karneme aasanee hoti hai..
आपने बहुत सारगर्भित कवितायें लिखी हैं । मेरे ब्लोग पर आने और कमेन्ट करने के लिये धन्यवाद । जीवन के प्रति आपका रवैया जानकर खुशी हुई ।
जवाब देंहटाएंsahi kaha ... badiya thot hai jee... aur aap to ispe amal bhi karne valo mein se ho....
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