अब तो कदम बढ़ाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा|
जो भी मिल जाए इस पग में,
उसको गले लगाना होगा|
दूर तलक मुझे जाना होगा,
अब तो कदम बढ़ाना होगा|
वो जो बादल घिर आए हैं,
बरखा की आस जगाये हैं|
उसे मिटना होगा बरखा के लिए,
नदिया के लिए- नाले के लिए|
बादल जो बूंद सजो रखा है,
क्या रिश्ता उसका बादल से है?
कहीं मै भी एक बादल तो नहीं!
क्या कहना सुनना व्यथा- कथा,
बस अब तो कदम बढ़ाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा|
सूरज का घोड़ा कब रुकता,
समय कहो भला कब थकता|
बादल को बूंद बनाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा ,
अब तो कदम बढ़ाना होगा|
हैं जीवन के जितने पन्ने,
उसपे मुहर लगाना होगा|
दूर तलक मुझे जाना होगा,
अब तो कदम बढ़ना होगा|
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कहाँ से ढूंढ लाऊँ ...
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miles to go b4 i sleep.....well said...
जवाब देंहटाएंbhut achchha likha hai ......vir ras ki jhata sarvatr hai
जवाब देंहटाएंbhut bahtreen rachna
बहुत अच्छे भाव हैं.....इसी तरह कदम बढ़ाते रहिये.....
जवाब देंहटाएंसाभार
हमसफ़र यादों का.......
Aaka safar door, door tak khushnuma rahe...yahee duayen hain..!
जवाब देंहटाएंBehtareen ashaar hain...aur kya kahun?
Mai anusaran karungee..pehelebhi koshish kee thee, lekin kuchh technical flaw ke karan nahee kar payee...
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