रविवार, 28 जून 2009

अब तो कदम बढ़ाना होगा

अब तो कदम बढ़ाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा|

जो भी मिल जाए इस पग में,
उसको गले लगाना होगा|

दूर तलक मुझे जाना होगा,
अब तो कदम बढ़ाना होगा|

वो जो बादल घिर आए हैं,
बरखा की आस जगाये हैं|

उसे मिटना होगा बरखा के लिए,
नदिया के लिए- नाले के लिए|

बादल जो बूंद सजो रखा है,
क्या रिश्ता उसका बादल से है?
कहीं मै भी एक बादल तो नहीं!

क्या कहना सुनना व्यथा- कथा,
बस अब तो कदम बढ़ाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा|

सूरज का घोड़ा कब रुकता,
समय कहो भला कब थकता|

बादल को बूंद बनाना होगा,
दूर तलक मुझे जाना होगा ,
अब तो कदम बढ़ाना होगा|

हैं जीवन के जितने पन्ने,
उसपे मुहर लगाना होगा|

दूर तलक मुझे जाना होगा,
अब तो कदम बढ़ना होगा|


4 टिप्‍पणियां:

  1. bhut achchha likha hai ......vir ras ki jhata sarvatr hai
    bhut bahtreen rachna

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छे भाव हैं.....इसी तरह कदम बढ़ाते रहिये.....

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

    जवाब देंहटाएं
  3. Aaka safar door, door tak khushnuma rahe...yahee duayen hain..!

    Behtareen ashaar hain...aur kya kahun?
    Mai anusaran karungee..pehelebhi koshish kee thee, lekin kuchh technical flaw ke karan nahee kar payee...

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

                                                                                                              कहाँ  से ढूंढ लाऊँ    ...