थका हूँ ,
हारा नहीं |
अकेला हूँ ,
बेसहारा नहीं |
नियति...मानता हूँ ,
लेता... सहारा नहीं |
थका हूँ ,
हारा नहीं |
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कुछ दिनों से .....
दर्द की...........
तलाश थी ........
मिल गयी |
अपनों सी.......
कुछ आश थी ........
मिल गयी |
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कहाँ से ढूंढ लाऊँ ...

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आज हो गया विलीन , श्वान की मुस्कान पर | कल कभी आएगा क्या ! टूटे हुए सपनों के बिच में , गली आगे से बंद है , मोड़ दिखती ...
वाह भई बहुत दिनों के बाद आये आप ...पर एक से एक सुन्दर रचनाओं के साथ...सभी की सभी अच्छी लगी. आभार,.
जवाब देंहटाएंaap ne bhi boht dino baad likha par boht achha likha...
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंथका हूँ ,
जवाब देंहटाएंहारा नहीं |
अकेला हूँ ,
बेसहारा नहीं |
नियति...मानता हूँ ,
लेता... सहारा नहीं |
थका हूँ ,
हारा नहीं |
वाह....!!
कम शब्दों में शानदार अभिव्यक्ति ......!!